जम्मू- कश्मीर और 370




वो तारीख़ जब हलचले तेज़ होने लगी थी।हुन्दुस्तान के उस अभिन्न अंग में जिसे भारत का मुकुट कह लीजिये या जन्नते ऑफ jammu&kashmir

जब 25 june से 5 august तक चाक-चौकस व्यवस्ता होने लगी थी,तो ऐसा लग रहा था जैसे कुछ बड़ी तब्दीली होने वाली है।तब उसी बीच ख़बर आती है कि अगर 370 से छेड़-छाड़ हुई तो देश में अमन(सुख -चैन) कायम नही रहेगा।ये संदेश कोई और नही वहाँ के रह चुकी वज़ीर-ए-आला का था।ये चुनौती भरी संदेश बहुमत भरी सरकार को दिया जा रहा था।जो कभी गठबंधन कर अपनी रोज़ी रोटी चलाया करती थी।ख़बर तुल पकड़ रही थी,मीडिया से जुड़े लोग अपनी-अपनी ख़बर के लिए भागदौड़ में लगे रहे ,इसी बीच ख़बर आयी कि कश्मीर में 40000 सेना भेजीं जा रही हैं।तब जातिवादी और अलगाववादी नेताओं ने पाकिस्तान के बोल-बोलनी शुरू की, जब कुछ ख़बर मिली कि ccs की बैठक होने वाली है तो सभी media houses में 370 की खबरें छा गई,वक़्त था 5 august का जब सारी देश की जनता जानना चाहती थी, कि ccs की बैठक में क्या चल रहा है। आखिर हो भी क्यू ना जो सारे media houses ने पहले ही कन्फर्म कर चुके थे।जनता की टकटकी 11 बजाने पर थी की कब संसद का कार्यवाही शुरू हो,बैठक खत्म हुई तो 11 बजे गृह मंत्री(अमित शाह) संसद भवन पहुचे उनके हाथ मे कुछ पेपर थे।संसद का कार्य प्रारंभ हुआ अब बारी थी गृह मंत्री को बिल पेश करने का,जैसे ही जम्मू-कश्मीर और धारा 370 लब्ज़ निकले वैसे ही ऐसा लगा कि संसद में भूचाल आगये,इतनी आवाजे जैसे देश मे sound polution को नही रोका जा सकता है।अध्यक्ष महोदय ने हो हल्ला को शांति कराया,अमित शाह अपनी पूरी बाते रखी,पूरे देश में ख़बर फैल गई,खुशी और जश्न होने लगे,संसद की कार्यवाही चलती रही इसी बीच pdp के सांसद आवेश खोकर अपने कपड़े फाड़ने लगे तो अध्यक्ष महोदय ने मार्शल से उन्हें बाहर करवा दिया।कार्यवाही शुरू रही। राज्यसभा में बिल पास हुए बारी थी लोकसभा की तो अगले दिन भी लोकसभा में 370 वोट से आर्टिकल 370 को पास किया गया एक नए राज्य भी गठन किये गए लद्दाक,कश्मीर में धारा144 सैनिक छाबनी जगह -जगह लगाये गए थे संचार के सारे माध्यम निष्क्रीय किये गए थे, अमन चैन की धमकी वाले को नज़रबंद किये गए थे,वही विपक्ष पार्टी बिखरी हुई नज़र आई और क्या कभी किसी ने सोचा था कि कश्मीर में होने वाला बदलाव से पाकिस्तान अपनी हरकतो को और बढायेगा।गीदड़भभकी सुनाने इमरान अपने नीति निर्माण भवन पहुचे जिसे national assembly कहते है।देश मे शुकून और जश्न का माहौल रहा,धीरे धीरे समय गुजरता रहा इन्तेज़ार था ईद का ईद भी जम्मू कश्मीर में खुशहाली से मनाया गया।हालात धीरे धीरे सामान्य पटरी पर लौट आये।


जब बात की जा रही थी देश की तो राजनेताओं को राष्ट्र हित मे सोचना चाहिये ना कि अपनी फायदे और सत्ता के नशे के लिए राष्ट्र हित भी भूल जाये ,ऐसे नेताओं और राजनेताओं को जनता भली भांति पहचानने लगी है ,आज 370 में सुधार के बाद एक भी आन्दोलन नही हुए, हिंसा नही भड़की,जिन लोगो को बदनाम करके राजनीती किया जा रहा था राजनेताओ द्वारा उन लोगो को आज क्या जवाब दिया जाएगा। जब एक भी जनसमूह से आवाज़ नही आयी।ऐसे राजनेता अपने पद और ओहदे को तरका ना समझे,एक चलन सी चलने लगी है, इस ओहदे पे आकर मनमानी करना।

पहले राष्ट्र फिर राज और राजनीति

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